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Vanakkam Poorvottar: Manipur में शांत माहौल को देखते हुए दी गयी Curfew में कुछ घंटों की ढील, सुरक्षा बलों की 8 और कंपनियां इम्फाल पहुँचीं

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मणिपुर में फिलहाल हालात कुछ शांत और स्थिर नजर आ रहे हैं। इस बीच, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की आठ कंपनियां राज्य की राजधानी इंफाल पहुंच गई हैं जिन्हें संवेदनशील एंव सीमांत क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। ये बल बुधवार को इंफाल पहुंचे। एक दिन पहले ही सीएपीएफ की 11 कंपनियों का एक और जत्था राज्य में पहुंचा था। एक अधिकारी ने कहा, “सीआरपीएफ और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की चार-चार कंपनियां राज्य के संवेदनशील और सीमांत क्षेत्रों में तैनात की जाएंगी।” हम आपको बता दें कि सीआरपीएफ की कंपनियों में से एक महिला बटालियन की है। केंद्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि मणिपुर में सीएपीएफ की 50 नई कंपनियां तैनात की जाएंगी।
इस बीच, मणिपुर में इंफाल घाटी के पांच जिलों में लागू निषेधाज्ञा में आज कुछ घंटों के लिए ढील दी गयी, ताकि लोग आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी कर सकें। इंफाल ईस्ट और काकचिंग जिला में निषेधाज्ञा में सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक, जबकि इंफाल वेस्ट, थौबल और बिष्णुपुर में सुबह पांच बजे से 10 बजे तक ढील दी गयी। हम आपको बता दें कि जिरीबाम जिले में हिंसा के बाद मणिपुर में नये सिरे से तनाव फैलने के बीच इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा-163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है और पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

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दूसरी ओर, इंफाल घाटी में तनाव के बीच विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूल और कॉलेज को 23 नवंबर तक बंद रखने का फैसला किया गया है। अधिसूचना के मुताबिक इन जिलों में 23 नवंबर तक सरकारी और निजी स्कूल तथा कॉलेज दोनों ही बंद रहेंगे। उधर, मणिपुर में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विधायकों द्वारा नागरिकों की हत्या में शामिल संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के खिलाफ “सामूहिक अभियान” का आह्वान करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद ‘द कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (सीओसीओएमआई)’ ने अपना आंदोलन एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है। हम आपको बता दें कि यह संगठन इंफाल घाटी के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक नागरिक समाज मंच है। इंफाल में संवाददाताओं को फैसले की जानकारी देते हुए संगठन के संयोजक सोमोरेंद्रो थोकचोम ने उन क्षेत्रों से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को हटाने का आह्वान किया, जहां इसे हाल ही में फिर से लागू किया गया था। थोकचोम ने कहा, “हम देखेंगे कि विधायकों द्वारा पारित प्रस्ताव का क्रियान्वयन कैसे होता है। आगे की कार्रवाई पर इसके बाद ही फैसला लिया जाएगा।”
उधर, ‘कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (केओएचयूआर)’ ने मणिपुर के जिरीबाम जिले में उग्रवादियों द्वारा मैतेई समुदाय की छह महिलाओं और बच्चों की हत्या की निंदा की और प्रशासन से इस “जघन्य कृत्य” में संलिप्त दोषियों को गिरफ्तार करने का आग्रह किया है। संगठन ने सरकार से उन लोगों को भी सजा दिलाने की मांग की है, जिन्होंने पिछले साल मई में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद कुकी-जो समुदाय की कई महिलाओं और बच्चों की हत्या की। कुकी आदिवासी संगठन ने एक बयान में कहा है कि हम जिरीबाम जिले में हथियारबंद बदमाशों द्वारा मैतेई समुदाय की छह महिलाओं और बच्चों की हत्या किए जाने की कड़ी निंदा करते हैं। सभी को जाति या धर्म से परे किसी भी इंसान की हत्या की निंदा करनी चाहिए। बयान में कहा गया है, “कुकी-जो समुदाय यहां तक कि युद्ध के समय में भी नागरिकों को नहीं मारने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस जघन्य कृत्य में शामिल दोषियों का पता लगाने का अनुरोध करते हैं।”
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