Hamas ceasefire deal: मिडिल ईस्ट में चल रहे जंग से परी दुनिया सकते में है. खासकर इजरायल और आतंकी संगठन हमास के बीच चल रहे संघर्ष से पूरा गाजा पट्टी अशांत है. इस संघर्ष में अब तक दोनों ही पक्षों के हजारों नागरिक भी मारे जा चुके हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप भी दुनिया में चल रहे युद्ध को खत्म करने की बात कह चुके हैं. वहीं, अब उनके चुनाव जीतने के बाद उम्मीद की कुछ किरणें भी नजर आने लगी हैं. इसी बीच हमास की तरफ से युद्ध विराम को लेकर समझौते की बात सामने आई है.
हमास के एक सीनियर अधिकारी ने गाजा पट्टी में इजरायल के साथ युद्ध विराम समझौते के लिए उग्रवादी समूह की इच्छा व्यक्त की है और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से यहूदी देश के फिलिस्तीनी क्षेत्र में चल रहे अभियानों को लेकर इजरायल पर “दबाव” डालने का आग्रह किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कतर की राजधानी दोहा में स्थित हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बासेम नईम ने कहा कि अगर प्रस्ताव पेश किया जाता है और इस शर्त पर कि इजरायल द्वारा प्रस्ताव का सम्मान किया जाता है तो हमास गाजा पट्टी में युद्ध विराम पर पहुंचने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि हम अमेरिकी प्रशासन और डोनाल्ड ट्रंप से इजरायल सरकार पर आक्रामकता समाप्त करने के लिए दबाव डालने का आह्वान करते हैं.
नईम का यह बयान कतर के कुछ दिनों बाद आया है, जो फिलिस्तीनी समूह के राजनीतिक ब्यूरो के कई सदस्यों का घर है, जिसने घोषणा की थी कि वह युद्ध विराम के लिए मध्यस्थ के रूप में अपनी भूमिका को “निलंबित” कर रहा है, जब तक कि हमास और इजरायल दोनों संघर्ष को समाप्त करने के लिए “इच्छा और गंभीरता” नहीं दिखाते.
दोहा में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल अंसारी ने एक बयान में कहा कि जब दोनों पक्ष अपनी इच्छा और गंभीरता दिखाएंगे तो कतर उन प्रयासों को फिर से शुरू करेगा. पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमलों के साथ गाजा युद्ध शुरू हुआ.
इजरायल सरकार के अनुसार, इन हमलों में 1,206 लोगों की मौत हुई, जिनमें से ज़्यादातर नागरिक थे. इसके अलावा आतंकवादियों ने 251 बंधकों का अपहरण कर लिया, जिनमें से 97 अभी भी गाजा में बंदी हैं. इजरायली सेना के अनुसार, इन 97 बंधकों में से 34 की मौत हो चुकी है. वहीं, इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) के जवाबी अभियान ने हमास द्वारा संचालित गाजा में 43,764 लोगों की जान ले ली है, जिनमें से ज़्यादातर नागरिक हैं.