शेख हसीना ने अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस को ठहराया हिन्दुओं के नरसंहार का ज़िम्मेदार
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Bamgladesh:�बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को एक वर्चुअल संबोधन में देश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस पर अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और नरसंहार का आरोप लगाया। न्यूयॉर्क में हो रहे इस वर्चुअल संबोधन में हसीना ने कहा कि यूनुस अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रहे हैं।
मुख्य बिंदु:
1. हिंदुओं पर हो रही हिंसा का आरोप:
शेख हसीना ने मुहम्मद यूनुस पर हिंदू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और नरसंहार का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यूनुस ने हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया।
2. हत्या की साजिश का दावा:
शेख हसीना ने दावा किया कि उनके और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई। उन्होंने इसे 1975 में उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या की घटनाओं से जोड़ा।
3. पांच अगस्त का हमला:
शेख हसीना ने बताया कि 5 अगस्त को ढाका स्थित उनके आधिकारिक आवास गणभवन पर हमला हुआ। हथियारबंद प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास पर हमला किया, लेकिन सुरक्षा गार्डों ने गोली चलाने से परहेज किया। ऐसा इसलिए क्योंकि खुद शेख हसीना ने सुरक्षा गार्डों को ये निर्देश दिए थे कि चाहे कुछ भी हो जाए वो प्रदर्शनकारियों पर गोली न चलायें वरना कितने ही लोगों की मौत हो जाती।
25-30 मिनट के तनावपूर्ण घटनाक्रम के बाद उन्हें आवास छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
4. भारत में शरण:
अगस्त में प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद शेख हसीना ने भारत में शरण ली। यह उनका पद छोड़ने के बाद पहला सार्वजनिक संबोधन था।
5. नरसंहार के आरोपों का जवाब:
शेख हसीना ने कहा, “आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि इसके पीछे मुहम्मद यूनुस हैं।” उन्होंने यूनुस को इस हिंसा का मास्टरमाइंड बताया।
वहीँ शेख हसीना के आरोपों के जवाब में मुहम्मद यूनुस ने पलटवार करते हुए शेख हसीना पर तीखा हमला बोला। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने हसीना सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके शासन ने देश को बर्बादी की ओर धकेल दिया।
यूनुस के आरोप
1. लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी:
मुहम्मद यूनुस ने आरोप लगते हुए कहा कि शेख हसीना ने अपने शासन के दौरान लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया। उन्होंने फर्जी चुनाव आयोजित कर खुद को और अपनी पार्टी को निर्विरोध विजेता घोषित किया।
2. फासीवादी शासन का आरोप:
यूनुस ने हसीना को “फासीवादी शासक” बताते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में सत्ता का केंद्रीकरण और विरोधियों का दमन हुआ।
3. आम चुनाव की मांग:
यूनुस ने संवैधानिक और न्यायिक सुधार लागू करने के बाद निष्पक्ष आम चुनाव कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चुनावों के बिना देश में वास्तविक लोकतंत्र संभव नहीं है।
4. शासन की आलोचना:
यूनुस ने आरोप लगाया कि शेख हसीना सरकार ने अपनी नीतियों और फैसलों से देश के सामाजिक और राजनीतिक ढांचे को कमजोर कर दिया।