पटना: राजद की चाल उल्टी पड़ गई। बीजेपी और जदयू के कैंप में भगदड़ मचाने के लिए “खेला होवे” का दांव खेला गया लेकिन बाजी ही उल्टी पड़ गई।
सरकार बनाने के लिए बिहार में 122 मतों की जरूरत होती है, लेकिन नीतीश सरकार को 129 मत मिले, अगर उप सभापति के वोट को मिला दें तो मतों की संख्या 130 पार हो गई।
राजद को मुंह की खानी पड़ी। राजद की पाले से विधानसभा अध्यक्ष बने अवध बिहारी चौधरी इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हुए थे, लेकिन उन्हें जनमत के आगे झुककर अपनी कुर्सी खाली करनी पड़ी।
बिहार में बहुमत हासिल करना आसान था और नहीं भी, वो भी तब जब कुछ महीनों के बाद लोक सभा चुनाव हैं और साल भर के बाद विधानसभा चुनाव भी आसन्न हैं।
मसलन बात “खेला होवे” की लेते हैं। तेजस्वी के इस दावे को उनकी पार्टी ने गंभीरता से नहीं लिया। जदयू और बीजेपी ने इसे बहुत ही गंभीरता से लिया।
इसलिए सबने देखा किस तरह रातों रात तेजस्वी के घर से राजद विधायक चेतन आनंद को पुलिस ने बाहर निकाला।
आनंद मोहन सिंह के बेटे चेतन आनंद जदयू के खेमे में आ मिले। नीलम देवी और प्रहलाद यादव भी नीतीश संग आ मिले।
विधानसभा में राजद के तीन विधायकों के साथ आते ही स्थिति बदल गई, जिनको भी सरकार के इकबाल और ताकत पर तनिक भी शंका नहीं थी।
वो राजग के साथ आ मिले। जीतन मांझी आखिरी वक़्त तक दांव खेलते रहे लेकिन उनके सामने मजबूरी थी, सबसे बात करना, सबका फोन उठाना।
बात सिर्फ इकबाल की ही नहीं थी, बात विधायकों के भविष्य की भी थी, जिसके लिए हर कोई, हर कुछ दांव पर लगा रहा था।
हर कोई अपने लिए, अपने बच्चों के लिए और अपने परिवार के लिए टिकट चाहता है।