Shindkheda सीट पर Jaikumar Rawal के भरोसे एक बार फिर बीजेपी, लगातार तीन बार से कर रहे हैं जीत दर्ज
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बीते रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में 99 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया है। उम्मीदवारों की सूची में सबसे पहला नाम महाराष्ट्र डिप्टी-सीएम देवेंद्र फडणवीस का है। भाजपा ने इन्हें नागपुर दक्षिण पश्चिम से चुनावी मैदान में उतारा है। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनावों के लिए वोट डाले जाएंगे। नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। प्रदेश अध्यक्ष चंद्र शेखर बावनकुले कामठी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। तो वहीं पार्टी ने शिंदखेडा विधानसभा सीट पर जयकुमार रावल को एक बार फिर टिकट दिया है।
भाजपा को आगामी चुनाव में शिंदखेडा विधानसभा सीट से चौथी बार जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। हालांकि पार्टी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है लेकिन महाविकास आघाड़ी की एकता से इस बार यहां से बीजेपी के वर्तमान विधायक जयकुमार रावल की जीत मुश्किल हो सकती है। रावल ने महाविकास आघाड़ी के सभी इच्छुक उम्मीदवारों को आमने-सामने बैठने की चुनौती दी है। कामराज निकम ने इस चुनौती को स्वीकार किया जबकि संदीप बेडसे ने कहा कि अगर हिम्मत है तो रावल को सत्ता का दुरुपयोग बंद करके लड़कर दिखाना चाहिए।
राज्य के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के समर्थन से जयकुमार रावल की जीत की संभावना कम हो सकती है, खासकर अगर अन्य दलों के उम्मीदवारों ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। पिछले चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2009 में जयकुमार रावल को 85,656 वोट मिले थे, जबकि राकांपा के हेमंत देशमुख (27,818) और शिवसेना के हेमंत साळुंखे (12,342) को कुल 75,117 मत मिले थे। 2014 में रावल को 92,794 वोट मिले, जबकि राकांपा के संदीप बेडसे को 50,636 और कांग्रेस के सनेर शामकांत रघुनाथ का 48,025 इस प्रकार कुल 98,661 वोट मिले थे, जो रावल से 6,000 अधिक थे।
रावल की इस चुनाव में बढ़ेंगी मुश्किलें
महाविकास आघाड़ी की एकता से रावल की जीत मुश्किल हो सकती है। चुनाव क्षेत्र में विभिन्न समुदायों का मिश्रण है, जिसमें मराठा, राजपूत, माली, चौधरी, मुस्लिम, दलित और आदिवासी शामिल हैं। जयकुमार रावल राजपूत समाज से हैं, जबकि महाविकास आघाड़ी के 3 इच्छुक उम्मीदवार श्याम सनेर, संदीप बेडसे और कामराज निकम मराठा समाज से हैं। तीनों ने चुनाव क्षेत्र में मजबूत अभियान चलाया है। शामकांत सनेर लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन वरिष्ठों ने शोभाताई चव्हाण को टिकट दिया, जिससे वे नाराज हुए थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी नाराजगी दूर करने के लिए उनसे संपर्क किया और वे फिर से सक्रिय हो गए।
संदीप बेडसे को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दे सकती है मौका
राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से संदीप बेडसे ने पहले विधानसभा के लिए दो और शिक्षक मतदार संघ में एक बार चुनाव लड़ा है। कुल मिलाकर 3 चुनाव लड़ चुके बेडसे पार्टी के प्रति निष्ठावान हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें एक और मौका देने की अपील कर सकते हैं। दूसरी ओर भाजपा छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस में आए कामराज निकम को उम्मीदवार बनाकर जिताने की अपील की जा सकती है, यह तर्क देते हुए कि जिला परिषद में उनके लिए जगह है, या फिर संदीप बेडसे को समझाकर उन्हें मनाने की कोशिश की जा सकती है। कामराज निकम को भाजपा से आए रावल के निकटवर्ती के रूप में नए �����ेहरे के तौर पर मौका दिया जा सकता है।
रावल की शिंदख�����डा पर पकड़ हुई कमजोर
लगातार तीन बार से विधायक चुने जा रहे जयकुमार रावल पिछले 5 साल में शिंदखेडा शहर में कम सक्रिय रहे हैं, लेकिन अब टिकट मिलने के कारण वे क्षेत्र में घूम रहे हैं। लोगों का कहना है कि वे पहले जैसे संपर्क में नहीं रहे। वहीं विरोधियों का आरोप है कि रावल सत्ता का दुरुपयोग करते हैं, लोगों पर झूठे मामले दर्ज करते हैं और दहशत फैलाते हैं। उनका मानना है कि रावल को सत्ता का अहंकार हो गया है।
रावल शासन में शिंदखेडा की जनता परेशान
शिंदखेडा चुनाव क्षेत्र में पानी के लिए 21 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत होने के बावजूद लोगों को नलों में साफ पानी नहीं मिल रहा है। इसके अलावा शहर की सड़कों की खराब हालत को लेकर लोग नाराज हैं। नई सब्जी मंडी बनाने के बावजूद सब्जी मंडी की समस्या बनी हुई है। नगरपंचायत में मुख्य अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण शहर की स्वच्छता भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है।