अपने बयान से पलटे मोहम्मद यूनुस, ‘शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेगा बांग्लादेश’
Sheikh Hasina extradition: अपने पहले के बयान से पलटते हुए बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कहा है कि अंतरिम सरकार अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेगी, जो अगस्त में बड़े पैमाने पर विरोध आंदोलन के बाद अपनी सरकार गिरने के बाद भारत भाग गई थीं. 17 नवंबर को अंतरिम सरकार के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने यह भी कहा कि उनकी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने हरसंभव प्रयास जारी रखे हुए है.
हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के बीच “अनावश्यक भय” फैलाने की कोशिश की गई. जबकि वास्तव में हिंसा के केवल कुछ मामले ही हुए. हमें हर हत्या में न्याय सुनिश्चित करना होगा. हम भारत से दिवंगत तानाशाह शेख हसीना को वापस भेजने के लिए भी कहेंगे.
पहले के रुख से पलटाव
उनकी टिप्पणी पिछले महीने ब्रिटेन स्थित फाइनेंशियल टाइम्स अखबार को दिए गए उनके बयान से पलटाव का संकेत देती है, जिसमें यूनुस ने कहा था कि उनकी सरकार भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की तत्काल मांग नहीं करेगी. 8 अगस्त को पदभार ग्रहण करने वाले यूनुस ने दावा किया कि हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों और श्रमिकों सहित लगभग 1500 लोग मारे गए. जबकि 19,931 अन्य घायल हुए. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार प्रत्येक मौत के बारे में जानकारी एकत्र करने में बहुत सावधान है. सरकार ने घायलों के लिए विभिन्न विशेष अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था की है, जिनमें ढाका के 13 अस्पताल भी शामिल हैं.
हसीना के खिलाफ आरोप
77 वर्षीय हसीना ने सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ छात्रों और अन्य लोगों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर विरोध- प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था और भारत भाग गई थीं. वह 5 अगस्त को दिल्ली के निकट हिंडन एयरबेस पर उतरीं. ऐसा माना जाता है कि बाद में उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया और तब से उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया. हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के क्रूर दमन का आदेश देने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई लोग हताहत हुए.
अनावश्यक भय फैलाने का प्रयास किया गया: यूनुस
यूनुस ने कहा कि उनकी सरकार उन सभी मामलों की जांच कर रही है, जहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा की गई. उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कि देश का कोई भी नागरिक, न केवल हिंदू समुदाय के सदस्य, हिंसा का शिकार न बनें। हम ये प्रयास जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि जब अंतरिम सरकार ने कार्यभार संभाला था, तब बांग्लादेश पूरी तरह असुरक्षित देश था. यूनुस ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों में अनावश्यक भय फैलाने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में, उन्हें हिंसा का भी सामना करना पड़ा है. लेकिन इस बारे में जो भी प्रचार किया गया, वह पूरी तरह से बढ़ा-चढ़ाकर किया गया था. हिंसा के जो छोटे-मोटे मामले हुए, वे मुख्य रूप से राजनीतिक थे.
दुर्गा पूजा उत्सव सबूत
उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को धार्मिक रंग देकर देश को फिर से अस्थिर बनाने के कुत्सित प्रयास किए गए. उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी के सहयोग से स्थिति से दृढ़ता से निपटा. उनकी सरकार के कार्यभार संभालने के दो महीने बाद देश भर में लगभग 32,000 पूजा मंडपों में दुर्गा पूजा मनाई गई. उन्होंने कहा कि सरकार ने दुर्गा पूजा के दौरान व्यापक सुरक्षा तैयारियां की हैं, ताकि हिंदू समुदाय के सदस्य त्योहार को सुचारू रूप से मना सकें. बांग्लादेश की 170 मिलियन की आबादी में हिंदुओं की संख्या सिर्फ़ 8 प्रतिशत है. अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सदस्यों को विरोध- प्रदर्शन के दौरान और उसके बाद से अपने व्यवसायों में नियमित रूप से तोड़फोड़ और मंदिरों को नष्ट करने का सामना करना पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री हसीना को पद से हटा दिया गया.
‘चुनाव का रोडमैप जल्द ही जारी होगा’
यूनुस ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग (ईसी) का गठन जल्द ही किया जाएगा. जबकि चुनावी प्रणाली में सुधारों के बाद चुनाव रोडमैप की घोषणा की जाएगी. उन्होंने कहा कि एक बार चुनाव सुधारों पर निर्णय हो जाए तो आपको बहुत जल्द चुनाव का रोडमैप मिल जाएगा. यूनुस ने कहा कि हर किसी के मन में यह सवाल है कि चुनाव कब होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनाव कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.