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…तो क्या मिडिल ईस्ट में खत्म हो जाएगी जंग, ईरान ने दिया बड़ा संकेत

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Middle East crisis: मिडिल ईस्ट में लगातार चल रहे संकट को खत्म करने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद इसको लेकर उम्मीदें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं. पिछले दिनों हमास ने भी युद्ध विराम को लेकर किसी भी समझौते में पहुंचने की बात कही थी. वहीं, अब इजरायल का कट्टर दुश्मन भी इस जंग को समाप्त होते देखना चाहता है. इसको लेकर ईरान के सीनियर अफसरों की तरफ से एक बयान सामने आया है. इसमें कहा गया है कि अगर लेबनान, इजरायल के साथ युद्ध विराम को लेकर बातचीत करता है तो वह उसके हर फैसले को सपोर्ट करेगा.

ईरान के एक सीनियर अफसर ने कहा कि हमारा देश लेबनान द्वारा इजरायल के साथ युद्ध विराम के लिए की गई बातचीत में लिए गए किसी भी फैसले का समर्थन करता है. इस बयान से यह संकेत मिलता है कि तेहरान भी उस संघर्ष को खत्म करना चाहता है, जिसने उसके लेबनानी सहयोगी हिजबुल्लाह को भारी नुकसान पहुंचाया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दो सीनियर ईरानी अधिकारियों का कहना है कि लेबनान में अमेरिकी राजदूत ने लेबनान के संसद अध्यक्ष नबीह बेरी को युद्ध विराम प्रस्ताव का मसौदा प्रस्तुत किया था. बेरी को बातचीत करने के लिए हिजबुल्लाह द्वारा समर्थन दिया गया है और उन्होंने शुक्रवार को वरिष्ठ ईरानी अधिकारी अली लारीजानी से मुलाकात की. जब प्रेस कान्फ्रेंस में उनसे पूछा गया कि क्या वे अमेरिकी युद्धविराम योजना को कमजोर करने के लिए बेरूत आए हैं तो लारीजानी ने कहा कि हम किसी भी चीज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. हम समस्याओं का समाधान चाहते हैं. हम सभी परिस्थितियों में लेबनानी सरकार का समर्थन करते हैं. लारीजानी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग बाधांए पैदा कर रहे हैं, वे नेतन्याहू और उनके लोग हैं.

एक सीनियर राजनयिक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि युद्ध विराम के लिए और समय की आवश्यकता है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इसे हासिल किया जा सकता है. निवर्तमान अमेरिकी प्रशासन लेबनान में युद्ध विराम को सुरक्षित करने के लिए उत्सुक है. जबकि गाजा पट्टी में इजरायल के संबंधित युद्ध को समाप्त करने के प्रयास पूरी तरह से विफल दिखाई देते हैं. विश्व शक्तियों का कहना है कि लेबनान में युद्ध विराम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 पर आधारित होना चाहिए, जिसने हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच 2006 के पिछले युद्ध को समाप्त किया था. इसकी शर्तों के अनुसार, हिजबुल्लाह को लिटानी नदी के उत्तर में हथियार और लड़ाके ले जाने होंगे, जो सीमा से लगभग 20 किमी. उत्तर में बहती है.

वहीं, इजरायल हिजबुल्लाह द्वारा किसी भी समझौते का उल्लंघन किए जाने पर कार्रवाई करने की स्वतंत्रता की मांग करता है, जिसे लेबनान ने खारिज कर दिया है. लारीजानी के साथ एक बैठक में, लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने 1701 को लागू करने पर लेबनान की स्थिति के लिए समर्थन का आग्रह किया और इसे प्राथमिकता बताया, साथ ही “इज़रायली आक्रामकता” को रोकने के लिए भी कहा. लारीजानी ने कहा कि ईरान सरकार द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय का समर्थन करता है. विशेष रूप से संकल्प 1701.

इज़रायल ने गाजा युद्ध के समानांतर लगभग एक साल तक सीमा पार शत्रुता के बाद सितंबर के अंत में हिज़्बुल्लाह के खिलाफ़ अपना ज़मीनी और हवाई हमला शुरू किया. इसका कहना है कि इसका उद्देश्य हिज़्बुल्लाह की गोलाबारी के कारण उत्तरी इज़राइल से निकलने के लिए मजबूर हुए हज़ारों इज़राइलियों की घर वापसी सुनिश्चित करना है. इज़रायल के अभियान ने 1 मिलियन से अधिक लेबनानी लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर कर दिया है, जिससे मानवीय संकट पैदा हो गया है.

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