गुरुवार का दिन यानी 3 अक्टूबर का दिन ना सिर्फ भारतीय शेयर बाजार बल्कि एशियाई शेयर मार्केट के लिए बेहद निराशाजनक रहा। हालांकि चीन और हांगकांग के बाजार में तेजी देखी गई। शुक्रवार को जब भारतीय शेयर बाजार खुला तो गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स में 410 अंक नीचे और निफ्टी 25 हजार के नीचे रहा। अब सवाल यह है कि इस गिरावट के पीछे मिडिल ईस्ट का तनाव जिम्मेदार है या चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को दम देने के लिए भारी भरकम पैकेज का ऐलान किया है उसका असर है। इस मामले में जानकार दोनों वजहों को जिम्मेदार बताते हैं। मिडिल ईस्ट में तनाव की वजह से निवेशक उन बाजारों की तरफ भाग रहे हैं जहां रिटर्न बेहतर मिलने के साथ सुरक्षित है। अगर 2 अक्टूबर की बात करें कतो चीन का टोटल मार्केट कैपिटलाइजेशन 10.1 ट्रिलियन डॉलर था जबकि 13 सितंबर को यह 7.95 ट्रिलियन डॉलर था। यानी कि इसमें 2 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है खास बात यह है कि 2 ट्रिलियन की बढ़ोतरी स्विटजरलैं, साउथ कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के बराबर है।
चीन और हांगकांग ने मात्र 15 कारोबारी सत्रों में अपने बाजार पूंजीकरण में 2 ट्रिलियन डॉलर और 1.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की वृद्धि देखी। यह वृद्धि मुख्य रूप से बीजिंग द्वारा महत्वपूर्ण ब्याज दर में कटौती और राजकोषीय सहायता सहित साहसिक प्रोत्साहन उपायों के कार्यान्वयन से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य संघर्षरत अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना है।इसी तरह, हांगकांग का कुल बाजार पूंजीकरण $4.79 ट्रिलियन से बढ़कर $6 ट्रिलियन हो गया, जो $1.25 ट्रिलियन से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि स्वीडन, नीदरलैंड, यूएई, डेनमार्क, स्पेन और इंडोनेशिया जैसे देशों के बाजार पूंजीकरण के बराबर है।
शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स पर करीब 37 कंपनियों के शेयरों की कीमतों में 1000 प्रतिशत से अधिक की उछाल देखी गई, जबकि 200 से अधिक कंपनियों ने 40-87 प्रतिशत के बीच लाभ कमाया। इसी तरह, हैंग सेंग इंडेक्स पर 19 कंपनियों ने 50-100 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की, और 50 कंपनियों ने 10-40 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की।